..जीने की ख्वाहिश है तो मरने की तैयारी रख


-स्मृति शेष ओमप्रकाश सिंह भदौरिया की चतुर्थ पुण्यतिथि पर फर्रूखाबाद में हुआ अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह का आयोजन

फर्रूखाबाद। आरोग्य चेतना समिति व सामाजिक संस्था टीम आलवेज पॉजिटिव के संयुक्त तत्वावधान में स्मृति शेष ओमप्रकाश सिंह भदौरिया की चतुर्थ पुण्यतिथि पर उत्सव गेस्ट हाउस में अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया व आनंद भदौरिया ने इसका संयोजन किया।
विश्व पटल पर ख्यातिलब्ध डॉ. शिवओम अम्बर ने कवि सम्मेलन की अध्यक्षता की व संचालन वरिष्ठ कवि महेश पाल सिंह उपकारी ने किया! शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर व दीप प्रज्वलित कर किया गया!
डॉ प्रीति पवन तिवारी ने मां बागीश्वरी की वंदना पढ़कर कवि सम्मेलन प्रारम्भ किया।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि डा. शिव ओम अंबर ने कार्यक्रम को अपना आशीष देते हुए कहा
शब्दों में टंकार बिठा ,लहजे में खुद्दारी रख।
जीने की ख्वाहिश है तो,मरने की तैयारी रख।
बाजपुर , उत्तराखंड से पधारे अंतर्राष्ट्रीय युवा कवि विवेक बादल बाजपुरी ने अपने अंदाज में कहा,
रंग भरते हुए दिन रात बना सकता है,
सिर्फ बादल है जो बरसात बना सकता है।
नेपाल से आए कवि हेमबाबू लेखक ने नेपाली व हिंदी दोनों भाषा में काव्यपाठ करते हुए जीवन के यथार्थ को चित्रित करते हुए कहा
हमारे बाद भी हमको जमाना याद कर बैठे,
तभी तो दिल के समंदर में चरागों को जलाया है।
नेपाल के ही कवि रमेश पंत मीतबंधु ने हिंदी और नेपाली में काव्य पाठ किया
आपसे जो मुलाकात हुई बस बह याद साथ ले जाएंगे,
मिलन की जो बरसात हुई बस वह याद साथ ले जाएंगे।

वरिष्ठ कवि महेश पाल सिंह उपकारी ने जीवन संदेश देते हुए कहा
किस तरह का रोग कब लग जाय कुछ मालुम नहीं।
कौन किस दिन आए कब उठ जाय कुछ मालुम नहीं।
नेपाल से आए कवि राज ने सुनाया
जनक कि नन्दिनी सीता अयोध्या के लला श्री राम,
बुद्ध कि पुण्य भूमि से करु श्री कृष्णको प्रणाम।
मैनपुरी से पधारे ओज के युवा कवि मनोज चौहान ने सुनाया
अपने सिर पर आजादी का लेकर के उन्माद गया,
पराधीन भारत से शेखर गया किंतु आजाद गया।
डॉ प्रीति पवन तिवारी ने अपने गीतों से सभी को भाव विभोर किया उन्होंने कुछ यूं गुनगुनाया
रंग गुलशन के हर फूल पर आयेगा,
देखना जब मेरा हमसफर आयेगा।
नेपाल से आये कवि जगदीश ओझा ने सुनाया
नेपाल का हिमालय,भारत की गंगा,
दोनों में है प्रेम का गहरा रंग।
नेपाल के प्रजापति नेगी ने सुनाया
तेरा मेरे घर आना जरूरी है मेरा तेरे घर जाना जरूरी है।
रिश्तों की देखो हमें एहतियात बरकरार रखना जरूरी है।
कानपुर से पधारे युवा कवि भानु प्रताप सिंह ने
सुनाया
वतन पर प्राण न्योछावर करूँ यह शक्ति प्रभु देना।
रचूं मैं राष्ट्रहित मे छंद यह वरदान प्रभु देना।
डॉ. अरुण प्रताप सिंह ने जीवन के यथार्थ का संदेश देते हुए कहा
मैं भी किसी फ्रेम में मढ़ा जाऊंगा, जब इस दुनियां से चला जाऊंगा।
माला चढ़ेगी या नहीं मालूम नहीं, मेरे सच को हमेशा पढ़ा जाएंगा।
रूद्रपुर से पधारे युवा कवि रोहित तिवारी व आनन्द भदौरिया ने भी अपनी रचनाओं से दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।
डॉ शिव ओम अम्बर ने भारत और नेपाल के कवियों को एक मंच पर लाने और फर्रुखाबाद में दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन कराने के लिए भदौरिया बंधुओं को सराहा।
इस अवसर पर विजय कुमार वर्मा पूर्व प्रधानाध्यापक, कन्हैया लाल पांडेय पूर्व वरिष्ठ लिपिक, लालाराम शर्मा पूर्व प्रधानाचार्य, हरिभान सिंह गहरवार पूर्व प्रधानाचार्य , राम नरेश सिंह परमार पूर्व प्रधानाध्यापक , राम शंकर अवस्थी अबोध व सत्य पाल सिंह सोमवंशी (बाबा जी) पूर्व प्रधानाचार्य को क्रमशः शिव राम सिंह स्मृति समाज भूषण सम्मान,जय राम सिंह स्मृति समाज भूषण सम्मान,सुशीला देवी स्मृति समाज भूषण सम्मान,बिट्टन भदौरिया स्मृति समाज भूषण सम्मान,तेज़ प्रताप सिंह स्मृति समाज भूषण सम्मान,उदय वीर सिंह स्मृति समाज भूषण सम्मान व बिट्टन देवी स्मृति समाज भूषण सम्मान से अलंकृत किया गया।
कार्यक्रम में शशि सिंह, संध्या सिंह, रवि प्रताप सिंह, सतेंद्र प्रताप सिंह, वैभव सोमवंशी, सत्यम सेंगर, रितेश प्रताप सिंह, संतोषी सिंह, लक्ष्मी सिंह, गौरव संबंधी, सौरभ सोमवंशी, अर्जुन मिश्रा, प्रतिभा सिंह, गौरांगी सिंह, वरुण प्रताप सिंह, बृजेंद्र कुमार श्रीमाली, अश्विन कुमार आर्य, विनीत मिश्रा, सैयद अमानुल हक, राजेश बाजपेई, संदीप तिवारी,मो. रफ़ी, डॉ. बी के चौधरी, मान सिंह, डॉ. श्रेय खंडूजा, डॉ के के शर्मा, ऋषभ कटियार, सुजीत प्रधान, अनुपम सागर, अभिषेक कुमार, अमित कुशवाहा उपस्थित रहे।