#प्रसंगवश/कुंभनगरी में कुप्रबंधन के कुपोषक
कुछ संजय की दृष्टि से घर- दफ्तर में बैठकर बता रहे हैं कि महाकुंभ में भगदड़ के दौरान इतने मर गए..सवाल उठा रहे हैं-कुप्रबंधन था, व्यवस्था नहीं है, तो प्रचार क्यों किया..कुछ कलियुगी संजय लाश का टैग नम्बर बताकर गिनती दर्शा रहे हैं..मेरा उनसे सवाल है जो बेचारे भगदड़ के शिकार हो गए उनका नाम-पता लिखा टैग नम्बर लेकर शव मॉर्चरी में रखा गया ? इतने बड़े अस्पताल की मोर्चरी में कोई शव नहीं होंगे ? जो ज्ञात शव होते हैं, उनको मोर्चरी में टैग के साथ रखा जाता है ? अज्ञात शव कैसे और कहां रखे जाते हैं ? सोशल मीडिया के इस दौर में जब हर व्यक्ति के पास मोबाइल है कुछ छिपाने की स्थिति बन सकती है ? 30 शव की शिनाख्त होने में समय नहीं लगता है ? जब सबसे कहा जा रहा है घाट पर ज़्यादा न रुकें, घाट पर न सोएं, शौचालय में जाएं, जगह जगह यूरिनल स्पॉट हैं, वहीं मल-मूत्र त्याग करें …डस्टबिन रखें उसमें ही कूड़ा डालें…हो क्या रहा है …गंगा किनारे ही मल-मूत्र कर रहे हैं। सड़क पर ही पीक रहे है..कचरा जहां बैठे हैं.. वहीं छोड़ रहे हैं..जबकि जगह जगह वॉटर एटीएम लगे हैं..सफ़ाई वाले दिन रात एक कर रहे हैं…यही नहीं महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए जो कवर्ड स्थल बनाए गए हैं.. वहां ही मल-मूत्र कर रहे हैं…दरअसल, हम ख़ुद ही संस्कारहीन व उद्दंड हो गए हैं। हम वही करते हैं, जो मन करता है, हम तीर्थ नहीं पर्यटन की दृष्टि से यात्रा कर रहे हैं.. नियम-कानून तोड़ने में हमको आंतरिक सुख मिलता है..सही ढंग से काम हम करना नहीं चाहते..दोष देना हमारी आदत में आ चुका है…मैंने कई मेले कवर किये हैं, लेकिन यहां व्यवस्था कमतर नहीं है…पर अनुमान से कहीं ज़्यादा श्रद्धालुओं का रेला आ रहा है..पर निगेटिविटी ढूंढने वाले को मसाला चाहिए..वह हर जगह मिल जाएगी। महाकुंभ प्रयागराज तीर्थस्थल है..यहां श्रद्धा, साहस, तप-त्याग करने वाला विचरण कर मोक्ष की कामना करता है..कामी, कुगामी, कुतर्की सुविधाभोगी पर्यटन की लालसा पालते हैं…तो वह निरकुंश है, कुछ भी करने-कहने को स्वतंत्र है। यहां कल्पवास की कामना वाले साधनारत रहते हैं..वह न विचलित होते हैं न ही विलासिता के प्रति आसक्ति रखते हैं।
#बलराम शर्मा