यूपी के शाहजहांपुर नगर में जन्मे असंगत नाटकों के पुरोधा भुवनेश्वर की पहचान अपने नगर में ही नहीं है। बहुत कम लोग ही उनके बारे में जानते हैं। यही हाल देश के जाने माने कहानीकार, साहित्यकार ह्रदय नरायण मेहरोत्रा ‘हृदयेश’ का है। उनकी भी कोई सुध लेने वाला नहीं है। हालांकि उनके भाई इतिहासकार नानक चंद्र मेहरोत्रा हैं। खत्री बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं। कई कमेटियों में दख़ल भी है, लेकिन ढाक के तीन पात।
रविवार को भुवनेश्वर की व्यथा कथा पर नाटक था। चीफ़ गेस्ट नगर आयुक्त डॉ विपिन मिश्रा थे। मौका देख, रंगकर्मी कप्तान कर्णधार ने आयुक्त से मांग रखी कि भुवनेश्वर व हृदयेश जी मूर्ति शाहजहांपुर में लगनी चाहिए। ये महानगर की शान थे। देश-विदेश में इनका नाम है। इस मांग का वरिष्ठ रंगकर्मी जरीफ़ मलिक आनंद, आलोक सक्सेना ने समर्थन किया। आयुक्त ने कहा कि वह इस दिशा में काम करेंगे…जगह तलाश कर मांग को मूर्त रूप दिया जाएगा। बाद में लोग ये कहते भी पाए गए कि …इनसे न हो पाएगा।