पुलिस से मिली ख़बर को सजगता से पोस्ट करें!


संदर्भ/आपबीती

जी हां, बुधवार का अनुभव यही बताता है। शाहजहांपुर के #पीआरओ की तरफ़ से एक ख़बर मीडिया ग्रुप पर पोस्ट करने के लिए भेजी गई। साथ ही एक वीडियो भी था। ख़बर पुलिस के मानवीय पहलू को दर्शाने वाली यानि #सराहनीय कार्य की थी। सिंधौली के किसी युवक ने सोशल मीडिया पर अपनी #वीडियो सुसाइड के संदर्भ में डाली..पुलिस ने उसको बचा लिया। उसकी काउंसलिंग की। चूंकि पुलिस महकमे की ख़बर थी। हमने भी #जन मन न्यूज़ पेज पर #पोस्ट कर दी। वीडियो भी डाल दी। थोड़ी देर बाद फेसबुक से #नोटिस मिला..कि ये वीडियो उनके मानक के विपरीत है। हमारे पेज को #वार्निग के साथ रीच भी डाउन कर दी गई। कुछ देर बाद #राजघाट चौकी के एसआई का कॉल आया। पूरा #इंटरव्यू लिया..क्या पोस्ट किए हैं ? ऊपर से जबाव मांगा जा रहा है..ये उनको भी नहीं पता कि उनके विभाग से ही जो दिया वही पोस्ट किया…खैर, जब उनको #मुतमईन किया। तो #कीडगंज प्रयागराज के एसआई का कॉल आ गया। पूछा गया कि कहां हैं ? क्या पोस्ट किए हैं ? अपनी #लोकेशन सेंड करिए ? इनसे निपटे ही थे कि शाहजहांपुर के एसपी के पीआरओ का कॉल आ गई…वह भी यही सब पूछे, जबकि उन्हें ये पता था कि उन्हीं का फैलाया रायता हमसे #बटोरवाया जा रहा था। उनसे फ़ारिग हुए तब तक कीडगंज के #एसआई आलोक रंजन आ गए। वह नाम-पता, पिता का नाम, क्या पोस्ट किए, सोर्स क्या था ? सब लिखापढ़ी करने के बाद वह गए। तो राजघाट एसआई शिवम यादव का फोन आ गया कि आप ये लिखकर दें कि कहां से खबर मिली, कहां पोस्ट की, कहां रह रहे हैं ? बगैरा-बगैरा। उनको भी #वाट्सएप पर स्क्रीन शॉट सेंड किया….मेरे 30 साल के #पत्रकारिता कार्य में ये पहला वाकया था, जब पुलिस के #गुडवर्क पर भी जवाब-तलब के बाद #सफ़ाई देनी पड़ी.. अब कोई गुडवर्क पोस्ट करने की जुर्रत करेगा ? ख़ासकर मैं तो नहीं।