#प्रयागराज महाकुंभ में जो जनसमुद्र उमड़ा.. उसके पीछे ये टैगलाइन भी रही कि 144 साल के बाद यह मुहूर्त आया है, लोगों को लगा अब नहीं तो कभी नहीं.. अपने सारे पाप संगम जाकर इसी जन्म धो लें, इसके बाद ऐसा मुहूर्त मिलेगा नहीं। दूसरा ये भी है कि अब जनमानस आस्था से ज्यादा स्टेटस सिंबल को महत्व देने लगा है। ऐसा माहौल देखकर आस्था बलवती हुई तो पारिवारिक महिलाएं भी कह उठीं, अरे… हमारे पास के सब लोग अमृत स्नान कर आए, एक तुम ही हो जो जा नहीं रहे, तुम्हारा यही रोना है कि भीड़ बहुत हो रही है…ट्रेन नहीं चल रही…जाम है.. पैदल चलना पड़ रहा है…बगैरा-बगैरा। यह कैसा मायाजाल है जिससे व्यक्ति निकल नहीं पा रहा है। इस मोहपाश में हर आदमी जकड़ा हुआ है, जबसे सोशल मीडिया का दौर आया है। रील्स-सेल्फी ने जोर पकड़ा है..तबसे आस्था कमज़ोर पड़ी है, दिखावा बढ़ा है। हर कोई उतावला है कि हम कैसे भी हो संगम नहाकर पुण्य कमा लें..फ़िर शायद मौका मिले न दोबारा?
#जैसा कि विदित है कि कुंभ हर बारह वर्ष के अंतराल पर आता है, लेकिन स्थान बदलते रहते हैं। कुंभ 12 साल, अर्ध कुंभ 6 और कुंभी 3 साल की होती है। चूंकि प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है, तो यहां का महत्व अधिक माना गया है। वैसे नासिक, उज्जैन, हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है। ऐसा वर्णित है कि जब समुद्र मंथन हुआ। अमृत कलश निकला, तो एक असुर देवता का स्वरूप रखकर अमृत कलश को ले गया। ले जाते वक्त अमृत की चार बूंद इन चार स्थलों पर गिरीं। मान्यता है कि इन्हीं तीर्थ स्थलों पर कुंभ मनाया जाता है। कुछ धर्म धुरंधरों ने 144 साल का पुण्यगामी मुहूर्त निकाला, तो यूपी की धर्मभीरु सरकार ने ये मौका हाथ से जाने नहीं दिया..144 साल का वास्ता देकर.. दिव्य-भव्य- डिजिटल महाकुंभ का स्लोगन दिया…पंच लाइन 144 साल रही।
#ख़ूब प्रचार किया। प्रयागराज को फ़्लैक्स, होर्डिंग्स-बैनर से पाट दिया। यूपी के मुखिया ख़ुद संन्यासी हैं, तो तन, मन, धन की कमी नहीं आने दी। आस्था, धर्म व श्रद्धा के पर्व को इवेंट बना दिया…जैसे कोई कंपनी करती है। अंधाधुंध प्रचार किया गया। निमंत्रण घूम-घूमकर पूरे देश मे दिए गए। कोई ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं बचा, जहां प्रचार-प्रसार न हुआ हो। सूबे की सरकार ने पूरी ताकत प्रचार में लगा दी। जैसा कि इवेंट में होता है टार्गेट रखा गया कि 45करोड़ श्रद्धालु आएंगे.. इनकी व्यवस्था के लिए सुविधाओं का भी भरपूर इंतजाम किया गया। केंद्र सरकार ने 5000 करोड़ दिए, तो यूपी सरकार ने भी 3000 करोड़ का बजट अवमुक्त करने की हामी भरी। जन सुविधाओं के जो इंतजाम किए गए, वह इतनी भीड़ को देखकर नाकाफ़ी साबित हुए।
#जब इवेंट होता है वीवीआइपी, वीआईपी व विदेशी लोगों को कुछ अलग से परोसा जाता है.. वैसा ही हुआ। आस्था,श्रद्धा से लगाव रखने वाली तपोभूमि पर दो हजार से लेकर दो लाख रुपए प्रतिदिन किराए के पाश्चात्य सुविधायुक्त कॉटेज.. भव्य टेंट सिटी…स्टीमर.. यही नहीं जप-तप करने वाले साधु संतों के लिए भी महल बनाए गए..जहां लाखों के झूमर से लेकर वातानुकूलित व्यवस्था की गई। सत्तापोषक व कुबेरों के चारण बने संत भी अपनी गरिमा को भूलकर उनको असमय ही जलक्रीड़ा कराने को आतुर दिखे। वह चाहे कोई बड़ा उद्यमी हो या राजनेता… फ़िल्म कलाकार भी उनकी शरण में गए। फिर ये शो किया गया कि कौन कितना बड़ा मंडलेश्वर है…जहां ऐसे नामचीन नतमस्तक हैं। सरकार के एक मंत्री तो इसी काम पर थे… अपनी शानोशौकत वाली कॉटेज में सेलिब्रिटी को लाकर उनका यशोगान करने से नहीं अघा रहे थे।
#वैसे, कुंभ प्रयागराज में लगते रहे हैं, लेकिन ये महाकुंभ दर्शाया गया था। सरकार ने इसको अपनी अस्मिता से भी जोड़ा। उसके लिए पूरी ताकत झोंक दी..सुविधा के लिए बहुतेरे प्रबंध किए। पर वीआईपी कल्चर ने सरकार की साख पर हरदम बट्टा लगाया। साथ ही उम्मीद से अधिक आई पब्लिक ने सभी सुविधाओं को बौना कर दिया। यही वजह रही कि भगदड़ में 30 (सरकारी आंकड़ा) श्रद्धालुओं की अकाल मौत हुई। पुण्य कमाकर मोक्ष पाने की चाह में आए करोड़ों श्रद्धालुओं के अनुभव अच्छे नहीं रहे..सरकार की सुविधाओं पर सरकारी अधिकारियों व कर्मियों का कब्ज़ा रहा। आम पब्लिक तो भटकती रही। चलना था चार किमी.. वीआईपी के चक्कर में डायवर्जन पाकर दस किमी चलना पड़ा। राजस्थान से आए बंजारा समूह ने थके हारे श्रद्धालुओं का खूब धनदोहन किया। दस की जगह सौ रुपए वसूले। बाइक वालों ने भी मौके का फ़ायदा उठाया पांच सौ रुपए में दो किमी का रास्ता तय कराया।
#45 दिन तक चलने वाला महाकुंभ महाशिवरात्रि पर अमृत स्नान के साथ पूर्ण हो जाएगा। सरकार बता रही है अब तक 62 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है। सरकार ने पैसा भी पानी की तरह बहाया है। साफ़-सफाई से लेकर मनोरंजन की व्यवस्था पर करोड़ों खर्च किए गए हैं..ये अगल बात है कि 20-25 हजार लोगों के बैठने वाले वाटरप्रूफ पांडालों में महंगे सेलिब्रिटी कलाकार परफॉर्म करने आए, लेकिन उनके कद मुताबिक दर्शक नहीं जुटे। कुमार विश्वास सरीखे कथावाचक को सुनने दो हजार दर्शक नहीं थे। शंकर महादेवन तो पूरा पंडाल खाली देख रूठ गए। नितिन मुकेश उखड़े मन से गा गए। जबकि संस्कृति विभाग ने करोड़ों रुपए तो पांडालों की भव्यता पर ख़र्च किए थे। स्नान की अभिलाषा में पैदल चलकर थके लोगों को कलाकारों के प्रति कोई रुचि नहीं थी..वह थकान उतारने को बस जगह तलाश रहे थे..शहर के लोग आना चाहते थे, तो उनके वाहन नहीं आ सकते..लिहाजा इन कलाकारों का सदुपयोग ही नहीं हो पाया। इन कलाकारों को लेकर संस्कृति विभाग का प्रचार कमजोर रहा। जिस दिन प्रोग्राम होता था, उसी दिन बाहर फ़्लैक्स लगता था। इससे अधिक भीड़ तो सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सांस्कृतिक पांडाल में नज़र आई।
#महाशिवरात्रि पर विश्व के सबसे बड़े सनातनी समागम का समापन हो जाएगा। चार हजार हेक्टेयर में बसे कुंभ नगर को उसकी भव्यता के लिए जाना जाएगा। जो यहां आए और जिन्होंने यहां किसी न किसी रूप में सेवाएं दीं…वह अपने अनुभव को लबे समय तक याद रखेंगे। संस्मरण भी सुनाएंगे। इतने दिनों से घर-परिवार से दूर रहे सुरक्षा प्रहरियों को आराम मिलेगा। सफ़ाई दूतों का काम अभी खत्म नहीं होगा…वह अभी सफ़ाई में जुटे रहेंगे। लल्लू एंड सन्स की टीम कॉटेज व टेंट सिटी को 28 फरवरी से समेटना शुरू कर देगी। डीएम प्रयागराज ने मेला बढ़ाने की अनुमति नहीं दी है। समरसता के महाकुंभ में 24 घन्टे श्रद्धालु आते रहे…गंगा, यमुना, संगम में डुबकी लगाते रहे। घाट एक पल को भी खाली नहीं रहे। रात-दिन अबाध गति से ये समागम चलता रहा। अब समापन सत्र है, तो लग रहा है देश भर के श्रद्धालु यहां आने को उतावले हैं। रविवार से जबरदस्त भीड़ है। प्रशासन को फ़िर वाहन का प्रवेश बंद करना पड़ा है।
#बलराम शर्मा
जन मन न्यूज़